अगर आप सैलरीड पर्सन हैं और पहली बार अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर रहे हैं, तो आपने फॉर्म 16 के बारे में जरूर सुना होगा. ये कर्मचारियों के लिए अपना टेक्स दाखिल करने का एक अहम डॉक्यूमेंट है. आइए समझते हैं कि फॉर्म 16 क्या है, इसमें क्या-क्या शामिल है, ये क्यों जरूरी है और इसे भरते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए जिससे रिफंड लेने में कोई समस्या ना हो.
फॉर्म-16 एंप्लॉयर जारी करता है. इस डॉक्यूमेंट में आपको दी गई सैलरी और फाइनेंशियल ईयर के दौरान काटे गए टैक्स (TDS) की पूरी जानकारी होती है. इसे इनकम टैक्स के सेक्शन 203 के तहत जारी किया जाता है. इसमे सैलरी सोर्स के साथ-साथ, टैक्स पर मिलने वाली डिडक्शन और कटौतियों की पूरी जानकारी होती है.
फॉर्म-16 में क्या-क्या शामिल है?
- फॉर्म 16 दो पार्ट में आता है. पहला फॉर्म 16 (A) और दूसरा फॉर्म 16 (B). पार्ट A में आपके एंप्लॉयर का नाम, पता, पैन, टैन नंबर, डिडक्शन अमाउंट के साथ सरकार के पास जमा TDS जैसी जानकारियां शामिल हैं.
- पार्ट B में आपकी सैलरी, सेक्शन 10 के अंतर्गत मिलने वाली छूट, चैप्टकर VI-A के तहत मिलने वाली डिडक्शन और आपकी नेट टैक्सेबल इनकम का पूरा ब्यौरा शामिल है.